BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।

अथवा
"रजिया सुल्तान", "नूरजहाँ", "चांदबीबी", "दुर्गावती" भारत की सशक्त महिलाओं की स्थिति को रेखांकित करती हैं।' कथन के सन्दर्भ में इनका विवरण दीजिये।
अथवा
"भक्ति आन्दोलन' ने किस प्रकार महिलाओं की स्थिति को सशक्तिकरण प्रदान किया?

उत्तर -

14वीं शताब्दी में इब्नबतूता द्वारा लिखित संग्रहों में सार्वजनिक स्कूलों के प्रमाण नहीं मिलते हैं। हालांकि प्राचीन और मध्यकालीन कर्नाटक में महिलाओं को शिक्षित करने की विधा भी घरेलू थी। इन संग्रहों से यह पता चलता है कि महिलाओं ने बदलती परिस्थितियों में अपनी प्रगति की ओर खुद को समायोजित किया। वैदिक युग में वे पुरुषों के बराबर थीं। मध्य युग में उनकी शिक्षा प्रसारित हो गयी, तब भी उच्च स्तर के लोगों ने ही उपलब्ध शिक्षा का लाभ उठाया।

मध्यकालीन में कर्नाटक के विभिन्न मंदिरों में इस तरह के प्रमाण प्रात होते हैं कि महिलाओं ने विविध तरह की शिक्षा प्रात की थी, डोमिगों पेस, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में विजयनगर का दौरा किया था, इन मूर्तियों को प्रमाणित बताते हुये कहा कि ऐसी महिलायें थीं उस समय जो कुश्ती, तुरही में पारंगत थीं, जैसे चाँदबीबी, नूरजहाँ, जोधाबाई, रजिया सुल्तान, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, मस्तानी व अन्य।

उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं को महल के अन्दर नृत्य करना सिखया जाता था। स्तम्भों के साथ एक बड़ा हॉल था, जिसमें एक नृत्य के अंत में स्थितियाँ दिखाने वाले पैनल थे। यदि छात्र विभिन्न पोज भूल जायें तो उन्होंने केवल पैनलों को देखकर उन्हें याद दिलाया जाता था।

विजय नगर के बारे में कहा गया है कि शाही सेवा में ऐसी महिलायें थीं जो कुश्ती कर सकती थीं और अन्य जो ज्योतिषी और पथ-प्रदर्शक थी, वे महिलायें जो उन सभी खर्चों का हिसाब लिख सकती थीं उनकी उन पुस्तकों की तुलना बाहर के लेखकों से की गयी थी। महल की रक्षा करने वाले न्यायाधीश व चौकीदार, वे सभी महिलायें थीं।

निःसंदेह शिक्षा का एक संगठित तंत्र मौजूद था। जिसने इन सभी महिलाओं को विभिन्न व्यवसायों के लिये प्रशिक्षित किया। मध्यकाल में महिलाओं ने राजनीति, साहिय, शिक्षा और धर्म में भी उल्लेखनीय भूमिका निभायी। रजिया सुल्तान (1205 1240) दिल्ली पर शासन करने वाली एकमात्र महिला सम्राट बनी। गोंड रानी दुर्गावती (1524-1564) ने मुगल सल्तनत से बराबर से लोहा लिया था। (1564) में चाँदबीबी ने अपनी उल्लेखनीय भूमिका दर्ज करायी। जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ ने प्रभावी ढंग से सत्ता को अपने इर्द-गिर्द बनाये रखा। उसके वर्चस्व को "नूरजहाँ जुन्टा " के नाम से जाना गया। मुगल राजकुमारियाँ जहाँआरा और जेबुन्निसा जानी-मानी कवियों में से थीं, जिन्होंने शासक शक्तियों को प्रभावित किया।

अब्लाका चौटा उल्लाल की पहली तुलवा रानी थी, जिसने 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पुर्तगालियों से लड़ाई लड़ी थी। शिवाजी की माता जीजाबाई एक योद्धा और प्रशासक दोनों रूप में जानी गयीं। शिवाजी के सफल होने में उनका विशेष स्थान था। ताराबाई भी एक मराठा जाति से ही थीं। केलाडी चेन्नम्मा ने बीजापुर सल्तनत के खिलाफ लड़ाई लड़ी और मुगल सम्राट औरंगजेब को हराया।

मूसल अनेक ओबवावा एक महिला थी, जिसने हैदर अली की सेनाओं को अकेले ही (अनेक) के साथ चित्रदुर्ग राज्य में लड़ा था। भाई सुखन ने अपनी छोटी सिख सेनाओं के साथ बाहरी ताकतों के खिलाफ अमृतसर शहर का जोरदार बचाव किया। दक्षिण भारत में, कई महिलाओं ने गाँवों, कस्बों और विभाजनों का प्रशासन किया और नये सामाजिक और धार्मिक संस्थानों में प्रवेश किया।

केरल के अलपुझा जिले में, चक्कुलथु कवु नामक एक प्राचीन मंदिर में दिसम्बर के महीने में महिलाओं की पूजा करने का एक असाधारण उल्लेखनीय वार्षिक अनुष्ठान होता है। यह नारी पूजा के रूप में लोकप्रिय, हर साल घनु मासम के पहले शुक्रवार को आयोजित किया जाता है। मंदिर के मुख्य पुजारी स्वयं पूजा करते हैं। इस समारोह के दौरान हजारों महिलाओं की पूजा

की जाती है, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय की हों। अनुष्ठान के लिये महिलाओं को एक कुर्सी (पीटॉम) पर बैठाया जाता है और मुख्य पुजारी उनके पैर धोता है। महिलाओं को बाद में माला पहनायी जाती है और फूल चढ़ाये जाते हैं।

सती प्रथा जिसको हम इसी रूप में जानते हैं कि किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाने पर महिला उसके साथ ही जल कर अपने को समात कर लेती थी। पर 510 सी.ई. शिलालेख (Eran Goparaja) का उल्लेख मिलता है। जिसमें उसकी पत्नी के मृत्यु होने पर उसके पति ने स्वयं को सती कर लिया था। सती प्रथा का पहला उल्लेख प्राचीन ग्रीक इतिहासकारों ने किया है। रिवाज का नाम हिन्दू देवी सती के नाम पर रखा गया है, जिसमें अपने पति शिव के बारे में अपमान सहने के बजाय खुद को बलिदान कर दिया। यह धीरे-धीरे 5वीं फिर 7वीं शताब्दी में अत्यधिक बढ़ गया और फिर एक प्रथा में तब्दील हो गया।

ग्यारहवीं शताब्दी में भारत को मुसलमानों द्वारा दूसरे आक्रमण का सामना करना पड़ा। मोहम्मद गजनी ने भी इसी समय भारत पर विजय प्रात की। इन स्थितियों का सामाजिक जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ा, विशेषकर महिलाओं के बीच | हालांकि, पन्द्रहवीं शताब्दी के दौरान रामानुजाचार्य ने भक्ति आन्दोलन का आयोजन किया।

इस आन्दोलन ने भारतीय महिलाओं के सामाजिक और धार्मिक जीवन में नये रुझान लाए। चैतन्य, नानक, मीरा, कबीर, रामदास, तुलसी और तुकाराम जैसे संतों ने महिलाओं के पूजा के अधिकार के पक्ष में प्रचार किया। भक्ति आन्दोलन ने महिलाओं के लिए धार्मिक स्वतन्त्रता का द्वार खोल दिया। इसके फलस्वरूप कुछ सामाजिक स्वतन्त्रता भी हासिल हुई। इससे पुरदाह व्यवस्था को समात कर दिया गया था।

दूसरी महिलायें 'कीर्तन' जैसी धार्मिक प्रार्थनाओं में भाग लेने से घरेलू जीवन से मुक्त हो गयीं। तीसरा एक संत अपनी पत्नी की सहमति के बिना अपने परिवार को 'संन्यासी' बनने के लिये नहीं छोड़ सकता था। इसने गृहस्थाश्रम में पत्नी के महत्व पर जोर दिया। चौथा धार्मिक पुस्तकों के पढ़ने के माध्यम से महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था। इस प्रकार भक्ति आन्दोलन का महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर कुछ बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा। लेकिन यह आर्थिक स्थिति का उत्थान नहीं था। महिलाओं को अपने भरण-पोषण के लिये पुरुषों पर निर्भर रहना होता था। हिन्दू लॉ ऑफ इनहेरिटेंस के दो प्रमुख स्कूल इस अवधि के दौरान उभरे मिताक्षरा और दयाभाग।

दयाभाग स्कूल के तहत, विजयनेश्र्वर ने एक विधवा के अधिकार का समर्थन किया। ताकि पुरुष बच्चे की अनुपस्थिति में अपने पति की पूरी संपति को सफल कर सकें। हालांकि विजनेश्रवरा ने महिलाओं के अधिकार को केवल तभी स्वीकार किया जब उनके पति उनसे अलग हो गये थे।

दयाभाग स्कूल के तहत, एक महिला को परिवारिक संपत्ति में किसी भी बहाव की जाँच करने के लिये कोपरकेरेन के साथ महिलाओं के अलगाव या संयुक्तता की स्थिति के बावजूद एक पुरुष संबन्ध की संपत्ति विरासत में मिली थी। उन्नीसवीं शताब्दी में भयानक पीड़ा और सामाजिक पतन, सामाजिक सुधारकों द्वारा सामाजिक बुराई को दूर करने और भारतीय महिलाओं के साथ हुये अन्याय के खिलाफ जोशीला प्रयास किया गया।

राजा राम मोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर और अन्य कई समाज सुधारकों ने महिला शिक्षा, बाल विवाह की रोकथाम, बहुविवाह को हटाने और विधवाओं के पुनर्विवाह पर जोर दिया। सती के प्रचलन के खिलाफ जनमत जागृत हुआ। इस अवधि के दौरान, सुधारकों, राष्ट्रीय नेताओं और महिला संगठनों के प्रयासों के परिणामस्वरूप ब्रिट्रिश सरकार द्वारा सामाजिक विधानों का एक अच्छा सौदा हुआ। कानून स्थिति में भी तेजी से सुधार हुआ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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